Love Is Selfless, Relationships Are Demanding - Vineeta Asthana
लम्बे डिप्रेशन के बाद कोविड से ग्रसित सुम्बुल मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती है। एक एक करके सुम्बुल के सारे अंग जवाब दे रहे हैं। उसके पिता और पति उसकी बिगड़ती तबियत और मानसिक स्थिति देखते हुए डॉक्टर की सलाह पर उसके एक पुराने प्रेमी समीर को बुलाने के बारे में सोचते हैं। समीर तक पहुँचने के लिए उन्हें सुम्बुल की सबसे करीबी सहेली श्रुति से संपर्क होगा जो अब एक प्रसिद्ध फिल्म लेखक है। सुम्बुल और श्रुति के बीच की दोस्ती और मेलजोल ख़त्म हुए भी अरसा बीत गया है।
सुम्बुल और श्रुति की दोस्ती के अटपटे से रिश्ते और इस दोस्ती की वजह से उलझती कई ज़िंदगियों की कहानी परत दर परत खुलती है। बचपन की दहलीज़ से जवानी में कदम रख रहे समीर, सुम्बुल, और श्रुति के रिश्ते रूठने-मानाने, दोस्ती और प्यार के बीच झूलते से दिखते हैं।
कहानी १९९३ के कानपुर में श्रुति और समीर से शुरू हो कर, लखनऊ में सुम्बुल से होती हुई उस कगार पर पहुँचती है जहाँ से तीनों की राहें अलग हो गयीं थीं। बचपन के प्यार और लड़कपन के रिश्तों की चुटीली शरारतों से भरी ये कहानी, उम्र के साथ आने वाले बदलावों को संवेदनशील तरीके प्रस्तुत करती है। उम्र के साथ होने वाले लैंगिकता के बोध को भी इस कहानी में दर्शाया गया है। कभी कभी बचपन का प्यार और लड़कपन के फैसले, कैसे हमारी ज़िन्दगी की दिशा निर्धारित करते हैं। कुछ चाहतें मुकम्मल कहानी बन जाती हैं। कुछ फ़ैसले ज़िन्दगी का सबक़ बन जाते हैं। कुछ लोग ज़िन्दगी में याद और किस्सों की तरह अपना असर छोड़ जाते हैं। उन्ही यादों और किस्सों से रंगी है, ये कहानी ‘ दरकते दायरे !’
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रूढ़ियों में बंधी नैतिकताओं और सामाजिक पूर्वाग्रह के दायरे दरकेंगे जब सुम्बुल , श्रुति और समीर की अतरंगी दोस्ती और अटपटे से रिश्ते को आप करीब से जानेंगे। जब इस दोस्ती की वजह से उलझती कई ज़िंदगियों की कहानी परत दर परत खुलेगी तो क्या होगा! पढ़िए दरकते दायरे !